बिश्नोई रत्न कुलदीप बिश्नोई का जीवन परिचय: एक प्रभावशाली राजनेता की जीवनी (Biography of Kuldeep Bishnoi)
कुलदीप बिश्नोई भारतीय राजनीति के एक प्रमुख नाम हैं, जिन्होंने हरियाणा की राजनीति में अपनी गहरी छाप छोड़ी है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजन लाल बिश्नोई (Bhajan Lal Bishnoi) के पुत्र कुलदीप बिश्नोई (Kuldeep Bishnoi) का जीवन संघर्ष, समर्पण और राजनीतिक कुशलता की कहानी है। इस लेख में हम उनके जीवन परिचय, परिवार, राजनीतिक करियर और उपलब्धियों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
कुलदीप बिश्नोई की पारिवारिक पृष्ठभूमि:
कुलदीप बिश्नोई का जन्म 22 सितंबर 1968 को हरियाणा के हिसार जिले के आदमपुर में हुआ था। वे हरियाणा के प्रसिद्ध बिश्नोई परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जिसका राजनीति में लंबा इतिहास रहा है। उनके पिता चौधरी भजनलाल बिश्नोई तीन बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, और उनकी मां जसमा देवी भी विधायक रह चुकी हैं। कुलदीप ने अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है।
![]() |
कुलदीप बिश्नोई, पत्नी रेणुका बिश्नोई, पुत्र भव्य बिश्नोई व पुत्रवधू परी बिश्नोई के साथ PM मोदी से मुलाकात |
कुलदीप बिश्नोई ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हरियाणा से प्राप्त की और बाद में सन् 1991 में दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की। यह शिक्षा उनके राजनीतिक करियर की नींव बनी। उन्होंने 1998 में आदमपुर से विधानसभा चुनाव जीतकर राजनीति शुरू की, दो बार सांसद और चार बार विधायक रहे। वर्तमान में वे भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेता हैं।
![]() |
श्री कुलदीप बिश्नोई |
कुलदीप बिश्नोई की शादी दिसंबर 1991 को रेणुका बिश्नोई, जो स्वयं हांसी से विधायक रह चुकी हैं। उनके दो बेटे और एक बेटी है। जिनके नाम हैं, भव्य बिश्नोई, चैतन्य और सिया बिश्नोई। उनके दोनों बेटों में एक राजनीति में हैं तो दूसरा क्रिकेटर है। भव्य राजनीति में उतर गए तो चैतन्य आईपीएल में खेल चुके हैं। उनका परिवार आज भी हरियाणा की राजनीति और बिश्नोई समाज में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
कुलदीप बिश्नोई का राजनीतिक करियर (Political Career of Kuldeep Bishnoi):
कुलदीप ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत 1998 में की, जब वे कांग्रेस पार्टी के टिकट पर आदमपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। यह जीत उनके करियर का पहला बड़ा कदम थी। 2000 से 2004 तक वे हरियाणा सरकार में मंत्री रहे, जहां उन्होंने विभिन्न विभागों में योगदान दिया।
2004 में कुलदीप बिश्नोई हिसार लोकसभा क्षेत्र से सांसद बने। फिर वे 2009 और 2014 में भिवानी लोकसभा के लिए चुने गए। उनकी लोकप्रियता और प्रभाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वे अपने पिता की तरह दो अलग-अलग सीटों (हिसार और भिवानी) से सांसद रहे। पहली बार हिसार से सांसद चुने गए थे तो दूसरी बार भिवानी से। कुलदीप बिश्नोई अब तक आदमपुर सीट से 4 बार विधायक एवं हिसार और भिवानी से 2 बार सांसद रह चुके हैं।
हरियाणा जनहित कांग्रेस की स्थापना:
2007 में कुलदीप बिश्नोई ने कांग्रेस से अलग होकर हरियाणा जनहित कांग्रेस (HJC) की स्थापना की। यह फैसला उनके पिता को मुख्यमंत्री पद न मिलने की नाराजगी के बाद लिया गया। HJC के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने हरियाणा की क्षेत्रीय राजनीति में अपनी पहचान बनाई। हालांकि, 2016 में उन्होंने इस पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया।
बीजेपी में शामिल होना:
2019 में कुलदीप ने कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) जॉइन की। 2022 में वे एक बार फिर आदमपुर से विधायक बने और बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में नियुक्त हुए।
कुलदीप बिश्नोई का संक्षिप्त परीचयः
- आदमपुर से चार बार विधायक रह चुके हैं।
- हिसार और भिवानी से लोकसभा दो बार सांसद रह चुके हैं।
- अपने पिता भजनलाल की तरह उन्होंने हरियाणा की राजनीति में प्रभावशाली भूमिका निभा रहे हैं।
- बिश्नोई समाज के उत्थान के लिए उनके प्रयास उल्लेखनीय हैं।
- वे हरियाणा के पहले ऐसे नेता हैं, जिन्होंने अपनी पार्टी बनाई और बाद में उसे कांग्रेस में विलय किया।
- उनके बेटे चैतन्य बिश्नोई IPL में चेन्नई सुपर किंग्स के लिए खेल चुके हैं।
- कुलदीप को बिश्नोई समाज में "बिश्नोई रत्न" की उपाधि मिली थी, जिसे बाद में वापस ले लिया गया।