गुरु जम्भेश्वर भजन लिखित | Guru Jambheshwar Bhajan Lyrics

श्री गुरु जम्भेश्वर भजन (Jambheshwar Bhajan) एक प्रकार  के राजस्थानी भक्ति गीत है, जो बिश्नोई पंथ के संस्थापक और आध्यात्मिक गुरु जम्भेश्वर भगवान की उपासना के लिए गाया जाते है। इन भजनों में जम्भेश्वर भगवान के जीवन, उपदेश, साखी, आरती और शब्दवाणी का वर्णन किया गया है। यहां पर  गुरु जम्भेश्वर भजन लिखित (Guru Jambheshwar Bhajan Lyrics) का संग्रह दिया गया हैं। इन लिखित भजनों के संग्रह का पठन/श्रवण करके आप आधायात्मिक लाभ प्राप्त करें।

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जम्भेश्वर भजन (1): आव आव म्हारा जम्भ गुरु स्वामी लिरिक्स

आव आव म्हारा जम्भ गुरु स्वामी, आयां सरसी रे, मरूधर देश में । टेर।

साल बंयारले काति बदी गुरु आप दिया उपदेश जी,  अंधियारो म्हारो दूर हो गयो उग्यो भाण जी । मरूधर देश में ।1।

पाहल मंत्र पिया प्रेम सूं, जिण सूं कटिया पाप जी बारह कोटि जीवां रे कारण आया आप जी । मरूधर देश में । 2।

वर्ष इक्यावन सारी जगत में, मानव धर्म चलाया जी उपदेश दियो उणतीस धर्म गुरु सबको सिखाया जी। मरूधर देश में ।3।

छोटी मोटी सब न्याति को अमृत प्यालो पायो जी समराथल भूमि पर गुरुजी पन्थ चलायो जी । मरूधर देश में । 4।

विष्णु धर्म की करी स्थापना वो दिन याद आवे जी आज थारे बिन जीव कलयुग में घणो दु:ख पावे जी । मरूधर देश में । 5।

जाली कांगरा निज मंदिर रा थारे हाथ सूं बणाया जी मुकटि छाजा छतरी राख, गुरु मंदिर चिणायो जी । मरूधर देश में । 6।

थारी समाधि रो दर्शण कर जीव म्हारो बिलमावां जी सुरजाराम सूं भजन सीख म्हें हरदम गावा जी । मरूधर देश में । 7।

जम्भेश्वर भजन (2): माता पिता  के सामने प्रगटिया लिरिक्स

माता पिता  के सामने प्रगटिया दीन दयाल रूप सुहावणों । टेर।

हंसा लोहट मन हर्ष मनावे हो गया निरख निहाल । 1।

मुकुट शीश पर हद बण्यो, प्यारे मोहन नैन विशाल । 2।

आयुद्ध धारण भुजा चारो में गल वैजन्ती माल । 3।

पदम पांव में शोभा न्यारी, कुण्डल कान गोपाल । 4।

झिलमिल बदन ज्योति झलकावे, आयो सागी नन्दलाल । 5।

तीन लोक रो नाथ सांवरियो, भगता रो प्रतिपाल । 6।

रामकरण कहे सुख मिल्यो, कट्या जन्म मरण रा जाल । 7।

जम्भेश्वर भजन (3): चालो म्हारी सहियां ए जाम्भेजी रा मेला में लिरिक्स

चालो म्हारी सहियां ए जाम्भेजी रा मेला में । टेर।

सोने रूपे री सहिया ईंट पड़ास्यां, मंदिर चिणास्यां ए, जाम्भेजी रा मेला में । 1।

कूं कूं केसर री सहियां गार गिलोस्यां, मंदिर निपास्यां ए, जाम्भेजी रा मेला में । 2।

गंगा जमना रो सहिया नीर मंगास्यां, गुरु ने न्हवास्यां ए, जाम्भेजी रा मेला में । 3।

गोरी गाय रो सहियां दूध मंगास्यां, गुरु ने पिलास्यां ए, जाम्भेजी रा मेला में । 4।

हिंगलू पागा रो सहियां ढ़ोलियो ढलास्यां, गुरु ने पोढ़ास्यां ए, जाम्भेजी रा मेला में । 5।

घिरत गायां रो सहियां छाणकर लास्यां, जोत करास्यां ए, जाम्भेजी रा मेला में । 6।

मोठ बाजरी री सहियां चूण लेजास्यां, दरसण करस्यां ए, जाम्भेजी रा मेला में । 7।

चार खूंटा रा सहियां आवे जातरी, धोक लगास्यां ए, जाम्भेजी रा मेला में । 8।

साखी गायसां, सबद बोलस्यां, मुरली गायस्यां ए, जाम्भेजी रा मेला में । 9।

अन्न धन रो भण्डार भरे, गुरु कूख भरेला ए, जाम्भेजी रा मेला में । 10।

सात सहेल्यां रलमिल जास्यां, हरजस गायस्यां ए, जाम्भेजी रा मेला में । 11।

जम्भेश्वर भजन (4): म्हाने आछा लागे महाराज दरसण जाम्भेजी रा लिरिक्स

म्हाने आछा लागे महाराज दरसण जाम्भेजी रा ।

म्हाने प्यारा लगे गुरुदेव दरसण जाम्भेजी रा। टेर।

जो जन धुन शब्दां री सुणिये, घट परमल की बास दरसण जाम्भेजी रा । 1।

चहूं दिस सन्मुख पीठ नहीं दरसे, क्रोड़ भाण प्रकाश दरसण जाम्भेजी रा । 2।

चालत खोज खेह नहीं खटको, नहीं दिसे तन छांय दरसण जाम्भेजी रा । 3।

भगवी टोपी भगवो चोलो, भलो सुरंगो भेष दरसण जाम्भेजी रा । 4।

समराथल पर आसण लगायो, दिया शबदां रा उपदेश दरसण जाम्भेजी रा । 5।

जम्भेश्वर भजन (5): खम्मा खम्मा ओ धणियां लिरिक्स

तर्ज- खम्मा खम्मा ओ धणियां....

चालो एं सहेल्यां आपा जाम्भेजी रे चालां, निव निव धोक लगावां ए चालो जाम्भेजी रे चालां ।

समराथल सोनवी नगरी, अद्भुत महिमा हे ज्यांरी दूर देशां सू आवे जातरी, नवण करे है नर नारी ।

अदक भूमि रा आपां दरसण पावां, चालो जाम्भेजी रे चालां । 1।

बरस इक्यावन तप्या गुरुजी, ज्ञान दिया था वेदों का, सबदवाणी बड़ी मधुर थी,

किया खुलासा भेदों का, वेद ज्ञान री गंगा में न्हावां, चालो जाम्भेजी रे चालां । 2।

इमरत पाहल मिले पीवण ने, जोत रा दरसण मिलसी ।

माटी काडा नाडिये री, मन रो कमल घणो खिलसी ।

भगतां संता सूं ज्ञान सुण आवां, चालो जाम्भेजी रे चालां । 3।

घिरत खोपरा धूप लेजावां, जोत रा दरसण पावां । मोठ बाजारी चूण ले जावां, समराथल धोरे जावां ।

साखी आरती और मुरली गावां, चालो जाम्भेजी रे चालां । 4।

धान धीणो रूप देवे, धन रा भरे भण्डार । बांझिया ने पूत देवे, दीनबंधु सिरजणहार ।

जुगती और मुगती चावां, चालो जाम्भेजी रे चालां । 5।

चरणचिन्ह और खाण्डो मिलसी, रोटू वाले मंदिर में चोलो चिम्पी जांगलू में, खड़ाऊ पींपासर में ।

दरसण कर मन हरसावां, चालो जाम्भेजी रे चाला । 6।

फोगड़ा कंकेड़ी केर, धोरे पर है कुमटिया । चूण चुगे, मोर गेरी परेवा और सुवटिया ।

रामरतन हरजस गावा, चालो जाम्भेजी रे चाला । 7।

जम्भेश्वर भजन (6): श्री जम्भेश्वरजी अरजी सुणो लिरिक्स

श्री जम्भेश्वरजी अरजी सुणो, मैं दर्शन करने आया हूँ। टेर।

भगवी टोपी गेरुओं चोलो, अद्भुत रूप बणाया जी ।

पेट पीठ कछूं दीखे नाहीं, सबके सम्मुख सुहाया जी । 1।

ना कुछ खाओ ना कुछ पीओ दिन दिन दिखो सवाया जी ।

तन की ऐसी खूशबू आवे, चंदन का पेड़ लगाया जी । 2।

चालत धरती पाव ना टेको, ना दीखे तन छाया जी।

चारों दिशा में फि रकर देखा, थारां रूप समाया जी । 3।

फोग कंकेड़ी का बाग लगाया, बीच में जाल सुहाया जी ।

नाचे मोर, परैवा बोले, कैसा खेल रचाया जी । 4।

जीवन मुक्ति का मार्ग बताया, सबही के मन भाया जी ।

गुरुदेव ने खडग़ चलाया, सीताराम गुण गाया जी । 5।

जम्भेश्वर भजन (7): तर्ज- ब्याव बीनणी बिलखूं लिरिक्स

तर्ज- ब्याव बीनणी बिलखूं...

धन-धन म्हारो भाग जागियो, सतगुरु आया आंगण में,

सगला म्हारा पाप धोय दिया, इस जुमले और जागण में । टेर।

समराथल सोने की नगरी, कण-कण हीरा मोती है,

जिण पर श्री गुरुदेव विराजे, अलख निरंजन जोती है।

आदि विष्णु जाम्भेजी रा, दर्शण पा लिया सागण मैं । 1।

भूल्यां भटक्या जीवां खातिर, जागण जमो रचायो है,

बरस एक में जमो दिराओ, ओही धरम भूलायो है ।

जमो दिराओ होम कराओ, सुख विष्णु गुण गावण में । 2।

बचपन खेलकूद में खोयो, भूल्यो रह्यो जवानी में,

गई जवानी, आयो बुढ़पो, गुरुजी री आज्ञा मानी मैं ।

भलो दिहाड़ो आज ऊगियो, बदी चवदश आई फागण में । 3।

इण जागण री महिमा भारी, मुख से वरणी ना जावे ।

हिरदे विष्णु नाम रहे, बाजोजी यूं फ रमावै ।

साधे मोमणे कमी ना राखी, साखी शब्द सुणावण में । 4।

धर्म कर्म ना भजन कियो है, जैसो तैसो हूं थारो।

दीन गरीब जान प्रभुजी बेड़ो पार करो म्हारो ।

भूली चूकी माफ  करीज्यो, सेवा चाकरी राखण में । 5।

नवण प्रणाम मानज्यो म्हारी, सेवक भोलो भालो हूं,

ऊपर से उजलो दीसूं, पर मन भीतर सूं कालो हूं ।

रामकरण कहे फिर नहीं आऊं, इस आवा और जावण में । 6।

जम्भेश्वर भजन (8): जम्भेश्वर भगवान दयालु सबकी लाज बचावे लिरिक्स

(जम्भेश्वर भगवान का अवतार हुआ उस समय जन्मघूंटी देने वाली बुढिय़ा को चमत्कार)

जम्भेश्वर भगवान दयालु सबकी लाज बचावे । बुढिय़ा रो मन देख उदास, गुरुजी ज्ञान बतावे।

जब हिरदे में भयो चानणो, बुढिय़ा मंगल गावे। घूमर घात नाचण लागी, हाथां-ताल बजावे ।

सुणो सहेल्यां नार भोलक्यां, सबने ही समझावे। ओ बालक है जगत पिता श्री विष्णु देव कहावै।

तीन लोक ने पोखण वालो, इणने कौन जिमावे । मच्छ कच्छ रूप धरयो बाराह को, असुर संहारण आवे।

ऋषि मुनि क्या ब्रह्मा सरस्वती, शेष भेद नहीं पावे । जनम मरण सूं न्यारो रैवे, अजर अमर कहलावै।

कांई कांई कहूं ओपमा, इणरी महिमा वरणी ना जावे । बार बार प्रणाम कहे, चरणां में शीष निवावे।

जो नर भगती करे प्रेम सूं, आवागवण मिट जावे। रामकरण कहे धिन धन प्रभु थारी माया लखी न जावे ।

आओनी म्हारी जागण में समराथल रा जाम्भाजी समराथल रा भगत आपरा, संग में लाज्यो जाम्भाजी ।

जम्भेश्वर भजन (9): ठुमक-ठुमक  देखो आवे जम्भराज लिरिक्स

ठुमक-ठुमक  देखो आवे जम्भराज, हंसा जो मगन भई देख्यो ऐसो साज ।

आगे आगे गऊआं चाले, पीछे चाले ग्वाल, सारां बीचे चाले हंसा लोहटजी रो लाल । 1।

आवत देखी गऊआं नगर की नार, हंसा आगे सखियां करे पुकार । 2।

सिर पे सुहावे टोपी, गले काली माल, कांधे धर गेडी चाले, अद्भुत चाल । 3।

बोले नहीं मुखड़े सूं करे सब काज, लीला ज्यारी लखी नहीं, पीपासर समाज । 4।

पूर्ण ब्रह्म रूप धार लियो भेष, पार नहीं पावे, ब्रह्मा विष्णु महेश । 5।

ओ ही लोहट सुत, ओ ही कृष्णमुरार, सेवक आलम गुण रहयो उचार । 6।

जम्भेश्वर भजन (10): गाओ गाओ ए सहियां म्हारी गीतड़ला लिरिक्स

गाओ गाओ ए सहियां म्हारी गीतड़ला, मुरली गाओ ए मुकाम। सुणेला थारी जाम्भोजी । टेर ।

गढ़ चितौड़ां ए जाम्भोजी पधारिया, झाली राणी रो दु:ख दियो मेट । सुणेला थारी जाम्भोजी । 1।

सांसा जिणरा ए पल मांही काटिया, सुण जाम्भोजी ग्यान । सुणेला थारी जाम्भोजी । 2।

रावण गोविन्द ए जलरा प्यासिया, बादल दियो बरसाय । सुणेला थारी जाम्भोजी । 3।

शहर फलोदी रा  ए राव हमीरजी, ज्यांरी दीन्हीं तपत बुझाय । सुणेला थारी जाम्भोजी । 4।

वील्हो खाती ए रेवाड़ी शहर रो, ज्यांरो कंचन कियो शरीर । सुणेला थारी जाम्भोजी । 5।

बाजेजी भगत रो ए दुखड़ो निवारियो, बेटो दियो जवान । सुणेला थारी जाम्भोजी । 6।

अलू चारण री ए व्यथा मिटाय दी, ज्यांरो काट्यो जलोदर रोग । सुणेला थारी जाम्भोजी । 7।

सिरिया झमकू ए जाम्भेजी री चेलियां, ज्याने सुरगां दी पंहुचाय । सुणेला थारी जाम्भोजी । 8।

इण तीन लोक में ए बाने मत भूलज्यो, घर-घर करो प्रचार । सुणेला थारी जाम्भोजी । 9।

अमर सुहागण ए जाम्भेजी राखेला, भरिया राखेला भण्डार । सुणेला थारी जाम्भोजी । 10।

गावे ज्यारां ए पाप झड़ पड़ै, आवागवण मिट जाय । सुणेला थारी जाम्भोजी । 11।

हरजस कथियो ए सुरजाराम ने, राख पूरो विश्वास । सुणेला थारी जाम्भोजी । 12।

जम्भेश्वर भजन (11): अमरलोक सूं म्हारा जाम्भोजी पधारिया लिरिक्स

अमरलोक सूं म्हारा जाम्भोजी पधारिया, घर लोहट अवतार लियो सिरिया झीमाबाई करे थारी आरती, 

चंवर ढ़ुलावे आलम सालम जीओ सोने रे सिंहासन माथे जाम्भोजी विराजीया, भगत उतारे थारी आरती जीओ 

जींझा मजीरा थारे बाजे मंदिर में, झालर री झणकार जीओ नौपत नगारा थारे गहरा गहरा बाजे, शंखा रा बाजे तुंताड़ जीओ 

घृत गूगल थारे चढ़े मिठाई, आवे कपूर महकार जीओ। प्रेमभाव से थाने मनावे, निवण करने नर नारी जीओ । 

खुला थारा पडिय़ा पोल दरवाजा, धोक लगावे नर नारी जीओ । केर कुमटिया चोखा घणा लागे, और फोगां री झाड़ी जीओ ।

जम्भेश्वर भजन (12): म्हाने जाम्भेजी दीयो उपदेश लिरिक्स

म्हाने जाम्भेजी दीयो उपदेश, भाग म्हारो जागीयो, मरूधर देश समराथल भूमि गुरूजी दियो उपदेश ।

पीपासर में प्रकट भया जब आय सुधार्यो बागड़ देश । 1।

बीदे ने विराट दिखायो, पूल्हे ने पाताल, उन्नतीस नियम सुणाय गुरूजी पायो म्हाने अमृत पाहल । 2।

सांगा राणा और नरेशां परच्यो महमद खान, लोदी सिंकदर ऐसो परच्यो पढऩी छोड़ दी कुरान । 3।

चिम्पी चोलो उणरे तन रो पडिय़ो जांगलू मांय, चिम्पी चोले रा दरसण करस्यां, न्हावाला बरसिंगाली जाय । 4।

मोखराम बंगाली वालो हरिचरणा लवलीन, दास जाण म्हापे किरपा कीज्यो, होऊं भक्ति में प्रवीन । 5।

जम्भेश्वर भजन (13) : तर्ज - अब लौट के आजा मेरे मीत लिरिक्स

तर्ज- अब लौट के आजा मेरे मीत...

अब दर्शन देवो जम्भदेव, भगत तेरे द्वार पे आये हैं । टेर।

पन्द्रह सौ और साल आठ में थे पीपासर आया । माता हंसा गोद खिलाया, लोहट मन हर्षाया ।

रहे सात वर्ष तक मौन, बाल लीला दिखाई है । अब दर्शन देओ.......... । 1।

दूदेजी ने खाण्डो दीन्हो, राज मेड़तो पायो। लोहटजी ने देख्यो अचम्भो, आंगन जल बरसायो ।

वर्ष बीस और सात, ग्वालों संग धेनु चराई है । अब दर्शन देओ.......... । 2।

पन्द्रह सौ और साल बंयाले बिश्रोई पंथ चलायो । जात पांत रो भेद मिटाकर, अमृत पाहल पिलायो।

दीन्हो वर्ष इक्यावन ग्यान, धर्म की धजा फहराई है । अब दर्शन देओ.......... । 3।

उमाबाई ले बत्तीसी, समराथल पर आई रोटू गांव में बाग लगायो, खेजडिय़ां उगाई ।

भर्यो ठाट -बाट सूं भात, उमा ने बहन बणाई है। अब दर्शन देओ.......... । 4।

विष्णुं- विष्णुं तूं भण रे प्राणी, ओ ही मंत्र सिखायो । पन्द्रह सौ और साल तेणवें ज्योति में रूप समायो ।

करे रामरतन गुणगान, दर्शन की आश लगाई है । अब दर्शन देओ.......... । 5।


जम्भेश्वर भजन (14): तर्ज - ब्याव बीनणी बिलखूं  लिरिक्स

तर्ज- ब्याव बीनणी बिलखूं...

माता हंसा पिता लोहट रो जम्भदेव है टाबरियो । पीपासर अवतार लियो समराथल बैठो सांवरियो । टेर।

मात पिता ने करी तैयारी, ब्याव सगाई म्हें करस्यां माने बहु हुक्म हमारो म्हे तो बैठा भजन करस्यां ।

तूं जम्भेश्वर सींचे कोहर, हल पे हाथ तुम जा धरियो । 1।

मात पिता ने यूं समझावे, बात मानलो थे म्हारी । बाल जती बण रहूं जगत में, सेवा करस्यूं मैं थारी ।

जोगी बणूलां, गुरु करूंला, ब्याव भूल में ना करियो । 2।

मात पिता जब स्वर्ग सिधाए, जोग पणो धारण कीन्हो। मन में समझ गुरु गोरख ने भगवो भेष धार लीन्हो।

शब्द सुणाया, ज्ञान बतायो, छोड़ दियो अपनो घरियो । 3।

नव और बीस नियम बताय बिश्रोई पंथ चलाय दियो। हिन्दू मुस्लिम करी एकता, मन को भरम मिटाय दियो।

शब्द सुणाया, पाहल पिलायो, प्यालो अमृत को भरियो । 4।

परच्यो बादशाह, लोदी सिंकदर, महम्मदखां नागौरी नै। दूदो, सातल सांगा जेतसिंह, मान गया तपधारी नै ।

अनवी निवग्या, पांये पड़ग्या, गुरु फरमाई सो करियो। 5।

ऐसे दीनदयाल प्रभु को, विष्णु रूप समझो भाई । रामकरण कहे फिर जीवन में कमी रहेला ना काई।

विष्णु जपना भव से टपना, जन्म जन्म फिर ना मरियो । 6।


जम्भेश्वर भजन (15): तर्जः घूमर म्हाने जाम्भेजी रा दर्शन प्यारा लागे ए माय लिरिक्स

तर्जः घूमर म्हाने जाम्भेजी रा दर्शन प्यारा लागे ए माय, दर्शन करबा म्हे जांस्या । टेर।

नरसिंह रूप सतजुग में आया, भगत प्रहलाद को वचन सुनाया ।

एतो वचनां रा बाध्या आया ए माय । दर्शन...... ।1।

हंसा लोहट घर बंटत बधाई, पीपसर में खुशियां छाई एतो देव सुमन बरसाया ए माय। दर्शन...... ।2।

ग्वाल बाल संग गऊंआ चारी, तपसी रूप रहे ब्रह्मचारी एतो समराथल आसण लगाया ए माय। दर्शन...... ।3।

जीव दया रो पाठ पढ़ायो, विष्णु नांव रो जाप बतायो एतो सबदां रा ज्ञान सुनाया ए माय। दर्शन...... ।4।

सब देवा सूं रचना न्यारी, झिगमिग ज्योति लागे प्यारी एतो रामरतन जस गाया ए माय। दर्शन...... । 5।


जम्भेश्वर भजन (16): म्हाने गुरूजी मिलण रो लागो कोड लिरिक्स

म्हाने गुरूजी मिलण रो लागो कोड। समराथल धोरे जावांला। टेर।

गुरूजी मिलण रो काड लाग रह्यो, जास्यां धाम मुकाम, कई जनमां रा पाप काटस्यां, पावांला मुक्ति धाम । 1।

अमावस रो वरत राखस्यां, धर जम्भेश्वर ध्यान माटी काडां नाडिये री पावांला मुक्ति धाम । 2।

थारे जातरू आवे घणेरा, म्हाने भूलज्यो नाय समराथल धोरे री माटी लेवाला अंग मे रमाय । 3।

चरण कमल रा थारा खड़ाऊ पडय़ा पीपासर मांय चोलो थारो पडय़ो जांगलू, टोपी है धाम मुकाम । 4।

जाम्भोलाव थारो जम्भ सरोवर, थे खुद आप खुदायो चेत भादवे मेलो भरीजे, मन वांछित फल पांवा । 5।

फोग कंकेड़ी कुं मठा रो है धोरे पर बाग उण धोरे रा दरसण करस्यां बारम्बार नंदराम । 6।


जम्भेश्वर भजन (17) : संग री सहेल्या रलमिल चाली, आपा मेले जायसा लिरिक्स

संग री सहेल्या रलमिल चाली, आपा मेले जायसा एं जाम्भेजी रा दरसण पायसां । टेर ।

धोरे ऊपर हरी कंकेड़ी, झिगमिग जोत जगायसा एं जाम्भेजी रा दरसण पायसां । 1।

अगुणी पेड़ी चढ़ धोक लगायसां, हुय उतराधी आयसां ए जाम्भेजी रा दरसण पायसां । 2।

गोरी गायां रो घिरत ले जायसां, गुरूजी री जोत जगायसा एं जाम्भेजी रा दरसण पायसां । 3।

फागण बदी तेरस और चवद्स, शिवरात्रि रो जागण लगायसा एं जाम्भेजी रा दरसण पायसां । 4।

दिन ऊगेरी भावज आपां, गूगल घिरत चढ़ायसा ए जाम्भेजी रा दरसण पायसां । 5।

भगवी टोपी काली माला, नित उठ दरसण करस्या एं जाम्भेजी रा दरसण पायसां । 6।

चिडिय़ा गेरी मोर सुवटिया, बाने चूण चुगायसा एं जाम्भेजी रा दरसण पायसां । 7।

हरि चरणां में कालूराम बोले, आपा रलमिल जायसा एं जाम्भेजी रा दरसण पायसां । 8।


जम्भेश्वर भजन (18) : तर्जः कजरा मोहब्बत वाला लिरिक्स

तर्जः कजरा मोहब्बत वाला (फिल्मी)

चालो समराथल चालां, निंव निंव कर धोक लगालां।

कट जावे पाप तमाम, समराथल जाम्भेजी रो धाम। टेर।

मास फागण रो आयो, मनड़ो घणो हरसायो आधे फागण री अमावस,

समराथल मेलो छायो ज्योति स्वरूपी जम्भगुरु, ज्योति रा दरसण पालो,

ज्योति सूं होवे उजालो, प्रीति सूं तिलक लगालो हिवड़े सूं करो प्रणाम। 1।

महिमा इण थल री भारी, गांवा जद लागे प्यारी। समराथल वन रे मांही, जाम्भेजी गऊआं चारी।

फोग कुमटिया सुंदर, खेले थे आप मुरारी।।

चरणां री माटी उठालो, मल मल के तन पे रमालो आनन्द रहवे आठो याम। 2।

यहां पर बिश्नोई बणाया, गुरुजी म्हाने पाहल पिलाया स्वर्गा रो राह बतायो,

सबदा रो ज्ञान सुणायो सबदा सूं होवे उजालो, होवे जमड़ा सूं टालो।

जन्म मरण सूं टाल्या, गुरुजी म्हाने ज्ञान बतायो। मिले सुरगां रो बास। 3।

जो कोई समराथल जावे, जुगति और मुगति पावे रामकरण कहवे उणरा जनम मरण मिट जावे समराथल मंदिर भारी, 

 पूजे बालक नर नारी माटी को शीश चढ़ावो, नीचे सूं ऊपर लावो सिमरो जाम्भोजी रो नाम। 4।


जम्भेश्वर भजन (19) : मां - बोले नाहीं ए नणद म्हारो लाडलो लिरिक्स

(गीत: जाम्भोजी का माँ एवं बुआ का संवाद)

मां-   बोले नाहीं ए नणद म्हारो लाडलो । बहुत फि कर की बात भतीजो थारो ए।

भुआ- भावज म्हारी ए फि कर थे मती करो । बोले लो दिन रात भतीजो म्हारो ए । 1।

मां-    चुंगे नाहीं ऐ नणद म्हारो लाडलो । बहुत फि कर की बात भतीजो थारो ए। 2।

भुआ-  भावज म्हारी ए फि कर थे मती करो । चुंगे लो थन आय भतीजो म्हारो ए । 3।

मां-     सोवे नहीं ए नणद म्हारो लाडलो । बहुत फिकर की बात भतीजो थारो ए। 4।

भुआ-  भावज म्हारी ए सुखभर सोवेला । कालजिये री कोर भतीजो म्हारो ए । 5।

भावज म्हारी ए हुयो घर चानणो । सूरज उग्यो भोर भतीजो म्हारो ए । 6।

भावज म्हारी ए विष्णु घर आवियो । ओ हे रामकरण रो नाथ भतीजो म्हारो ए । 7।


जम्भेश्वर भजन (20) : मैं जिसको प्रणाम करूं लिरिक्स

मैं जिसको प्रणाम करूं, वो सतगुरु देव जम्भेश्वर है।

ध्यान लगाऊ, शीश निवाऊ, एक भरोसा उन पर है।। टेर।।

उनकी रचना नृसिंह ने प्रहलाद को दरस दिखाया था

युग युग में प्रभु जीव तारने दिया वचन निभाया था

कलयुग में जाम्भोजी आये, उनका ही फरमाया था।। 1।।

बागड़ देश गांव पीपासर जाम्भोजी का जनम हुआ

माता हंसा पिता लोहट के आंगन में शुभकर्म हुआ

ओम विष्णु पूजा ओम विष्णु सुमिरण जाम्भोजी का जनम हुआ। 2।

पन्दरासो के साल बयाले जाम्भोजी पंथ प्रगट किया

सबसे पहले जाम्भोजी ने पूलहोजी को पाहल दिया

भव से पार तारने वाला ओम विष्णु का मंत्र दिया। 3।

उनसे तो अरदास करेंगे वो ही सुनने वाले हैं

सब जग के प्रभु कर्ता धर्ता वो ही रखने वाले हैं

सेवक रामकरण कहे गुरुजी रक्षा करने वाले हैं। 4।


जम्भेश्वर भजन (21) : म्हारी जागण में थाने आया ही सरे लिरिक्स

म्हारी जागण में थाने आया ही सरे । टेर ।

समराथल रे धोरे ऊपर जागण जोर रचायोजी, आलमजी, सालमजी, जागण दीन्हों सतगुरु जाम्भाजी ।

म्हारी जागण में थाने आया ही सरे । 1।

बाजेजी भगत रो थेतो, यज्ञ सम्पूर्ण करीयोजी, बाजेजी भगत रे जागण दीन्हो, सतगुरु जाम्भाजी ।

म्हारी जागण में थाने आया ही सरे । 2।

त्रेतायुग में सीता कारण लंका आप पधारयाजी, सीताजी ने जाकर दर्शन दीन्हो सतगुरु जाम्भाजी ।

म्हारी जागण में थाने आया ही सरे । 3।

द्वापर युग में रूक्मणी री प्रीत पूरबली पालीजी, अपने कर सूं रथ में बैठाई सतगुरु जाम्भाजी ।

म्हारी जागण में थाने आया ही सरे । 4।

कोढ़ी हो तो जैसलमेर रो जेतसिंह महाराजाजी, राजाजी रे तन री कोढ़ झाड़ी सतगुरु जाम्भाजी ।

म्हारी जागण में थाने आया ही सरे । 5।

भगवीं टोपी भगवों चोलो, प्यारो म्हाने लागे जी, सारां ही भगतां ने संग लाज्यो सतगुरु जाम्भाजी ।

म्हारी जागण में थाने आया ही सरे । 6।

तूं ही रामा, तूं ही कृ ष्णा तूं ही मोहन गिरधारी, तूं ही सुरजाराम ने बिसारियों मत ना जाम्भाजी ।

म्हारी जागण में थाने आया ही सरे । 7।


जम्भेश्वर भजन (22) : द्वार पे गुरुदेव के हम आ गए लिरिक्स

द्वार पे गुरुदेव के हम आ गए ज्योति में दर्शन गुरु का पा गए।। टेर।।

देखलो हमको भला दर्शन हुआ प्रेम हिरदे में मगन प्रसन्न हुआ

हर तरफ आनन्द ही आनन्द छा गए।

ज्योति में दर्शन गुरु का पा गए।। 1।।

भाव श्रद्धा के सुमन अर्पण करें रात दिन हरि हरि सुमरण करें मंत्र सतगुरुजी हमें बतला गए।

ज्योति में दर्शन गुरु का पा गए।। 2।।

प्रीत चरणों में बनी हमकी रहे भजन करने में लगन सबकी रहे

ज्ञान सतगुरुजी यही बतला गए ज्योति में दर्शन गुरु का पा गए।। 3।।

रामकरण का ध्यान छूटे नहीं तार जो इकतार ये टूटे नहीं

सतगुरु बिना मोक्ष नहीं,बतला गए

ज्योति में दर्शन गुरु का पा गए।। 4।।

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