विष्णु-विष्णु तू भणरे प्राणीं । इस जीवन के हावै।।
क्षण-क्षण आवै घटंती जावै । मरण दिनों दिन आवै ।।
पालटीयो गढ़ कांय न चेत्यो । घाती रोल भनावै ।।
गुरु मुख मुरखा चढे न पोहण मनमुख भार उठावै ।
ज्यूं ज्यूं लाज दुनी की लाजै । यूं त्यूं दाब्यो दावै ।।
भलियो होयसो भली बुध आवै ।।
बुरियो बुरी कमावै ।।120।।
120 शब्दवाणी Pdf:
शब्दवाणी 120 शब्दों का संग्रह है, जिन्हें गुरु जम्भेश्वर ने विभिन्न लोगों से, विभिन्न समय और स्थानों पर, विभिन्न संदर्भों में कहा था।