श्री गुरु जम्भेश्वर शब्दवाणी : शब्द 120

विष्णु-विष्णु तू भणरे प्राणीं । इस जीवन के हावै।।

क्षण-क्षण आवै घटंती जावै । मरण दिनों दिन आवै ।।

पालटीयो गढ़ कांय न चेत्यो । घाती रोल भनावै ।।

गुरु मुख मुरखा चढे न पोहण मनमुख भार उठावै । ज्यूं ज्यूं लाज दुनी की लाजै । यूं त्यूं दाब्यो दावै ।।

भलियो होयसो भली बुध आवै ।। बुरियो बुरी कमावै ।।१२०।।


120 शब्दवाणी Pdf:  शब्दवाणी 120 शब्दों का संग्रह है, जिन्हें गुरु जम्भेश्वर ने विभिन्न लोगों से, विभिन्न समय और स्थानों पर, विभिन्न संदर्भों में कहा था।


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