वन्यजीव संरक्षण में नई पहल: चौधरीवाली सामुदायिक रिजर्व क्षेत्र घोषित

हरियाणा सरकार ने वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए चौधरीवाली गांव को हिसार जिले का पहला सामुदायिक रिजर्व क्षेत्र घोषित किया है। 

चौधरीवाली सामुदायिक रिजर्व क्षेत्र:

यह सामुदायिक रिजर्व बिश्नोई बाहुल्य क्षेत्र चौधरीवाली गांव की गौशाला के पास 150 एकड़ भूमि में फैला हुआ है जिसमें हिरण, मोर, स्पाइनी-टेल्ड लिजार्ड, मरुस्थलीय लोमड़ी, जंगली बिल्ली, गीदड़ और अन्य पक्षियों व कछुओं जैसे वन्यजीवों का प्राकतिक आवास सुरक्षित रहेगा तथा उन्हें संरक्षण प्राप्त हो सकेगा।

यह क्षेत्र देसी किकर, खेजड़ी, केर और जंगली बेर जैसे वृक्षों से आच्छादित है, जो पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में सहायक हैं। यह क्षेत्र अपनी प्राकृतिक बणी को संरक्षित रखने वाला एकमात्र गांव है, जिसमें पर्यावरण संतुलन को पारंपरिक रूप से बनाए रखा गया है।

कैसे बना यह क्षेत्र सामुदायिक रिजर्व?

वन्यजीवों का संरक्षण हेतु ग्राम पंचायत चौधरीवाली द्वारा सरपंच कुलदीप डेलू की अध्यक्षता में प्रस्ताव पारित कर राज्य सरकार को भेजा गया। इस प्रस्ताव के साथ ग्रामवासियों की मांग, तत्कालीन विधायक भव्य बिश्नोई की अनुशंसा पत्र, विस्तृत परियोजना रिपोर्ट एवं उपायुक्त हिसार का पत्र शामिल था।

इस को प्रस्ताव हिसार आईजी अमिताभ सिंह ढिल्लो और वन्यजीव संरक्षक विनोद कड़वासरा (भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई सभा के प्रदेश अध्यक्ष) के मार्गदर्शन में आगे बढ़ाया गया। दो वर्षों तक पंचायत भंग रहने के बावजूद, नवगठित पंचायत ने फिर से प्रस्ताव पास कर सरकार को भेजा, जिसे अंततः स्वीकृति मिली।

राज्य सरकार ने बिश्नोई समाज के संरक्षण कार्यों की पहल को मान्यता देते हुए इस क्षेत्र को सामुदायिक रिजर्व घोषित किया। अखिल भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई सभा के प्रदेश अध्यक्ष विनोद कड़वासरा ने 100 से अधिक पृष्ठों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की, जिसमें स्थानीय वनस्पतियों और जीव-जंतुओं का सचित्र विवरण दिया गया।

चौधरीवाली सामुदायिक रिजर्व क्षेत्र से फायदें:

  • ग्राम पंचायत के मालिकाना हक ग्राम पंचायत पास रहेगा, लेकिन भूमि का उपयोग किस्म नहीं बदला जा सकेगा।
  • वन्यजीव कानून 1972 लागूरू शिकार पर रोक लगेगी , प्रबंधन समिति (5 ग्रामीण $ वन अधिकारी) गतिविधियों की निगरानी करेगी।
  • गांव का सतत विकास होगा जिसमें- जलाशयों का निर्माण, ग्रासलैंड तैयार करना, शिकारी कुत्तों पर नियंत्रण और वनस्पति पुनरुत्थान जैसी योजनाएं लागू होंगी।

कैसे होगा प्रबंधन?

सरकार द्वारा प्रबंधन समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें गांव के 5 सदस्य, वन विभाग के अधिकारी और बिश्नोई समुदाय के प्रतिनिधि शामिल होंगे। यह समिति संरक्षण योजनाओं को क्रियान्वित करेगी और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएगी।

राज्य प्रधान मुख्य वन संरक्षक विनीत गर्ग के अनुसार, चौधरीवाली सामुदायिक रिजर्व क्षेत्र अन्य जिलों और राज्यों के लिए एक प्रेरणादायक मॉडल बनेगा। इससे न केवल वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय समुदायों की सहभागिता भी सुनिश्चित होगी।

वन्यजीव विशेषज्ञ विनोद कड़वासरा (अखिल भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई सभा) के अनुसार, "यहां के ग्रामीणों ने अपनी 'बणी' (जंगल) को 500 साल पुरानी परंपरा के तहत बचाया है। 100+ पेज की हमारी रिपोर्ट ने इसकी जैवविविधता को डॉक्यूमेंट किया।" 

निष्कर्ष:

चौधरीवाली सामुदायिक रिजर्व क्षेत्र की घोषणा पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यह बिश्नोई समाज की संरक्षण परंपरा और हरियाणा सरकार की पहल का उत्कृष्ट उदाहरण है, जो भविष्य में अन्य क्षेत्रों को भी प्रेरित करेगा।

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