विकलांगता अक्षमता नहीं: रमेश बिश्नोई की प्रेरणादायक कहानी

दृढ़ संकल्प की मिसाल: रमेश बिश्नोई

समस्याएँ केवल वहीँ बाधा उत्पन्न करती हैं जहाँ संकल्प कमजोर होता है। रमेश बिश्नोई ने इस कथन को अपने जीवन में चरितार्थ किया है। फालोदी (राजस्थान) के एक पिछड़े गाँव में दोनों हाथों के अभाव में जन्मे रमेश बिश्नोई ने कभी भी अपनी विकलांगता को बाधा नहीं बनने दिया। बल्कि उन्होंने अपने पैरों को इस हद तक साध लिया कि वे न केवल अपनी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं, बल्कि कला, खेल और शिक्षा के क्षेत्र में भी नए आयाम स्थापित कर रहे हैं।

बचपन से ही आत्मनिर्भर बनने की प्रबल इच्छाशक्ति रखने वाले रमेश ने अपने पैरों के माध्यम से दैनिक कार्यों को करना प्रारंभ किया। उन्होंने लिखना, स्नान करना, खाना बनाना, खाना खाना, कपड़े पहनना, चित्रकारी करना, तैराकी करना और यहाँ तक कि क्रिकेट खेलना भी पैरों से सीख लिया। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि इच्छाशक्ति और निरंतर अभ्यास से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।

रमेश बिश्नोई: पैरों से सपनों की उड़ान
रमेश बिश्नोई: पैरों से सपनों की उड़ान

उन्होंने अकल्पनीय उपलब्धि हासिल की, पैरों से लिखी गई परीक्षाओं के माध्यम से अपनी स्नातक (BA) की डिग्री अर्जित की। उनके पैर हमेशा सटीकता के साथ चलते हैं, पेन और पेंसिल को पकड़कर निबंध लिखते हैं, समीकरण हल करते हैं और अपने शैक्षणिक सपनों को साकार करते रहते हैं। उनकी लेखनी की सटीकता और गति किसी भी सामान्य व्यक्ति से कम नहीं है। उन्होंने बी.एड. भी पूरा कर लिया है और वर्तमान में वे राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) की तैयारी में जुटे हुए हैं।

उद्देश्यपूर्ण और सटीकता के साथ चलने वाले अपने पैरों से वे कुएँ से पानी की बाल्टी के बाद बाल्टी कुशलतापूर्वक खींचते हैं। उन्होंने अपने पैरों का उपयोग करके पानी उठाने और मिट्टी के घड़ों में डालने के लिए पानी निकालने की कला में महारत हासिल की है। यह वास्तव में उनकी अनुकूलन क्षमता और लचीलेपन का एक वास्तविक प्रमाण है।

रमेश बिश्नोई की प्रतिभा केवल शिक्षा तक सीमित नहीं है। रमेश बिश्नोई राज्य स्तरीय तैराक खिलाड़ी हैं। जल में उनकी स्पीड और समन्वय देखकर कोई भी उनकी शारीरिक सीमाओं को भूल जाएगा। इसके अलावा, वे अपने पैरों से टांकें से पानी की बाल्टी भरकर कुशलतापूर्वक खींचते हैैंं और घड़े में पानी भरते हैं। यह उनकी अद्भुत अनुकूलनशीलता का प्रमाण है।

रमेश बिश्नोई न केवल तैराकी बल्कि क्रिकेट में भी निपुण हैं। क्रिकेट के मैदान में वे अपने पैरों से बैट पकड़कर एकदम जोरदार शॉट्स लगाते हैं। उनका खेल देखकर लोग हैरान रह जाते हैं कि कैसे वे अपनी सीमाओं को ताकत में बदल रहे हैं।

इसके अलावा, वे अपनी चित्रकला और पेंटिंग में भी दक्ष हैं। वे अपने पैरों से ब्रश पकड़कर ऐसे शानदार चित्र बनाते हैं जो उनकी गहरी कलात्मक अभिव्यक्ति को दर्शाते हैं। उनकी बनाई गई कलाकृतियाँ सराहनीय हैं और यह साबित करती हैं कि सच्ची प्रतिभा किसी भी प्रकार की शारीरिक सीमाओं की मोहताज नहीं होती।

उन्होंने अपने पैरों का उपयोग करके सब्जियां काटने, बर्तन पकड़ने, और स्वादिष्ट व्यंजन बनाने के लिए खाना पकाने की कला में भी महारत हासिल की है। उनके पैर अभ्यास के साथ-साथ अपनी आवश्यक जरूरतों को पुरा करने से भी से भी मजबूत हुए हैं।

रमेश बिश्नोई की मेहनत और आत्मविश्वास ने उन्हें सोशल मीडिया पर भी एक बड़ी पहचान दिलाई है। उनके फेसबुक पर 10.1 लाख (Fb Id: Ramesh Bishnoi Jodhpur), इंस्टाग्राम पर 7.71 लाख (Insta Id: ramesh_vishnoi_121) और यूट्यूब पर 20 हजार से अधिक सब्सक्राइबर हैं। इनके माध्यम से उनकी प्रेरणादायक कहानियाँ लाखों लोगों तक पहुँच रही हैं और उन्हें नई ऊर्जा प्रदान कर रही हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से अपने कंटेंट को सफलतापूर्वक मोनेटाइज़ कर हर महिने एक लाख रूपये तक कमा रहे हैं। यह सोशल मीडिया के सद्पयोग का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं।

आज के समय में, जब अनेक युवा सुविधाओं की अधिकता के बावजूद नकारात्मकता से घिरे हुए हैं, रमेश बिश्नोई जैसे व्यक्तित्व हमें यह सिखाते हैं कि जीवन में किसी भी प्रकार की बाधाएँ केवल मानसिकता पर निर्भर करती हैं। यदि आत्मशक्ति और धैर्य हो, तो कोई भी परिस्थिति व्यक्ति की प्रगति को रोक नहीं सकती। सच्ची शक्ति हमारे शारीरिक सामर्थ्य में नहीं, बल्कि हमारे मानसिक दृढ़ संकल्प में निहित होती है।

डॉ. एल.आर. बिश्नोई, आईपीएस लिखते हैं- प्रिय मित्रों, रमेश बिश्नोई के बारे में लिखने का मेरा उद्देश्य यह है कि आजकल हम युवाओं में नकारात्मकता का साक्षी हैं, यहां तक ​​कि उनके पास सभी सुख-सुविधाएं उपलब्ध हैं। अन्य कई उपलब्धियों की तरह, वे उन सभी के लिए आशा की किरण हैं जो सफलता के अपने पथ पर चुनौतियों का सामना करते हैं। हमें एक बात याद रखनी चाहिए कि सभी प्रकार की सीमाओं को दृढ़ इच्छाशक्ति से दूर किया जा सकता है। सच्ची ताकत हमारी शारीरिक क्षमताओं में नहीं, बल्कि हमारे दृढ़ संकल्प और इच्छाशक्ति में निहित है।

आशा है कि रमेश बिश्नोई की दृढ़ता और दृढ़ता अनगिनत व्यक्तियों को प्रेरित करती रहेगी! रमेश बिश्नोई की यह अद्वितीय यात्रा न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि हमें यह भी सिखाती है कि "अगर संकल्प अडिग हो, तो असंभव कुछ भी नहीं।" उम्मीद है कि उनकी यह जिजीविषा और संघर्षशीलता अनगिनत व्यक्तियों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती रहेगी।

सादर आभार : डॉ. एल.आर. बिश्नोई, आईपीएस

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