श्री कुलदीप बिश्नोई ने संरक्षक पद से दिया इस्तीफा:
श्री कुलदीप बिश्नोई का नाम हरियाणा और भारतीय राजनीति में एक प्रतिष्ठित स्थान रखता है। अपने बेबाक व्यक्तित्व और जनसेवा के प्रति समर्पण के लिए प्रसिद्ध कुलदीप बिश्नोई ने हाल ही में अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के संरक्षक पद से इस्तीफा देकर समाज में एक नई चर्चा को जन्म दिया है। यह कदम उनके जीवन और समाजसेवा के एक महत्वपूर्ण अध्याय के समापन का प्रतीक है।
श्री कुलदीप बिश्नोई का समाजसेवा का सफर
2011 में युगपुरुष और समाज के प्रमुख नेता स्व. चौधरी भजनलाल जी के देहांत के बाद, बिश्नोई समाज को एक सशक्त नेतृत्व की आवश्यकता थी। उस समय संत समाज, समाज के बुद्धिजीवी, और गणमान्य लोगों ने एकमत से श्री कुलदीप बिश्नोई को अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के संरक्षक पद की जिम्मेदारी सौंपी।
उन्होंने अपने इस दायित्व को पूरी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के साथ निभाया। अपने 12 वर्षों के कार्यकाल में उन्होंने समाज को एकजुट रखने और समाज के हितों की रक्षा के लिए अनेकों कदम उठाए। चाहे धर्मशालाओं का निर्माण हो, समाज के मंदिरों का जीर्णोद्धार हो, या समाज के युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना, उन्होंने हर मोर्चे पर अपना सर्वश्रेष्ठ दिया।
समाज के लिए किए गए उल्लेखनीय कार्य:
श्री कुलदीप बिश्नोई ने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण कार्य किए, जिनमें से कुछ का विवरण निम्नलिखित है:
1. धर्मशालाओं का निर्माण:
हरिद्वार, गुड़गांव, दिल्ली और जयपुर में धर्मशालाओं के निर्माण में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन धर्मशालाओं ने न केवल समाज के लोगों के लिए ठहरने की सुविधा प्रदान की, बल्कि समाज की एकता का प्रतीक भी बनीं।
2. ओबीसी वर्ग में शामिल करवाने का प्रयास:
बिश्नोई समाज को ओबीसी श्रेणी में शामिल करवाने के लिए उन्होंने लगातार प्रयास किए। इस उद्देश्य की फाइल को अंतिम छोर तक पहुंचाने में उनकी सक्रियता सराहनीय रही।
3. सीबीआई जांच की पहल:
विष्णुदत्त प्रकरण में अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री के खिलाफ आवाज उठाकर उन्होंने समाज के हितों की रक्षा के लिए सीबीआई जांच शुरू करवाई। यह उनकी ईमानदारी और साहस का प्रमाण है।
4. युवाओं के लिए रोजगार:
समाज के युवाओं को सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों में रोजगार दिलाने के लिए उन्होंने बड़े स्तर पर प्रयास किए। यह उनकी समाज के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
5. राजनीतिक समर्थन:
उन्होंने समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों को टिकट दिलाने के लिए कांग्रेस और भाजपा के शीर्ष नेताओं से पैरवी की। यह उनकी राजनीतिक सूझबूझ और समाज के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
इस्तीफे के पीछे का कारण:
श्री कुलदीप बिश्नोई ने स्पष्ट किया कि अब वे समाज को सक्रिय रूप से समय नहीं दे पाएंगे। उनका कहना है, "मुझे कभी पद की लालसा नहीं रही। मैंने हरियाणा में उपमुख्यमंत्री पद और केंद्र में मंत्री पद तक ठुकराया है। मेरे लिए सिद्धांत और जमीर अधिक महत्वपूर्ण हैं।"
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि महासभा के अध्यक्ष पद से भी समय के अभाव के कारण एक साल बाद इस्तीफा दे दिया था। उनके अनुसार, अब संरक्षक पद पर बने रहना सही नहीं है क्योंकि वे इसे उतना समय नहीं दे पाएंगे जितना यह जिम्मेदारी मांगती है।
समाज के प्रति अटूट वचनबद्धता:
हालांकि, पद से इस्तीफा देने के बाद भी उनका समाज के प्रति जुड़ाव समाप्त नहीं हुआ है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि समाज को जब भी उनकी आवश्यकता होगी, वे 24 घंटे उपलब्ध रहेंगे। यह बयान उनकी निस्वार्थ सेवा भावना का परिचायक है।
एक प्रेरणादायक नेतृत्व का अंत या नई शुरुआत?
श्री कुलदीप बिश्नोई का इस्तीफा एक युग के अंत जैसा प्रतीत होता है, लेकिन यह उनके समाजसेवा के कार्यों का अंत नहीं है। उनका यह कदम शायद नए नेतृत्व को मौका देने और समाज के लिए नई ऊर्जा का संचार करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
उनका कहना, "मैं समाज के संत समाज, पदाधिकारी, और समाज के सभी लोगों का आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने मुझे प्यार, स्नेह, और आशीर्वाद दिया।" यह उनके विनम्र और समर्पित व्यक्तित्व को दर्शाता है।
कुलदीप बिश्नोई का संदेश |